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महाकाल लोक में जिन्हें दुकानें आवंटित हुई है वे शीघ्र अतिशीघ्र दुकान प्रारंभ करें अन्यथा आवंटन निरस्त होगा – कलेक्टर सिंह

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श्री महाकाल लोक में जनवरी से लाईट एंड साउण्ड शो प्रारंभ होने की संभावना कलेक्टर ने श्री महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल लोक और प्रसादम क्षेत्र का निरीक्षण किया Vastvikta Darshan News          उज्जैन। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने मंगलवार को श्री महाकालेश्वर मंदिर के श्री महाकाल लोक और प्रसादम क्षेत्र का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जो दुकानें नीलामी के पश्चात आवंटित हुई थीं, उनके प्रारंभ होने की स्थिति का अवलोकन किया गया। जिन दुकानदारों ने अभी तक आवंटन के पश्चात भी दुकान प्रारंभ नहीं की है उन्हें शीघ्र अतिशीघ्र दुकान प्रारंभ करने के लिए कहा गया अन्यथा आवंटन को निरस्त करने के निर्देश दिए गए।        कलेक्टर द्वारा टूरिज्म बोर्ड के माध्यम से महाकाल लोक में प्रारंभ किए जाने वाले लाईट एंड साउण्ड शो की प्रगति का अवलोकन किया गया। बताया गया कि जनवरी 2025 तक लाईट एंड साउण्ड शो के प्रारंभ होने की संभावना है। कलेक्टर द्वारा रूद्रसागर पर बनाए जाने वाले फुटओवर पैदल ब्रीज का भी निरीक्षण किया गया। बताया गया कि ब्रीज का काम दिसंबर माह में पूर्ण होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त कलेक्टर सिंह के द्वारा महा

भारत में एक जगह ऐसी है, जहां उल्टी गंगा बहती है जाने कहां?

वास्तविकता दर्शन समाचार, 6 सितंबर 2020


     इंदौर। भारत में एक जगह ऐसी है जहां डेढ़ किलोमीटर तक गंगा उल्टी बहती है, वह स्थान है वाराणसी के घाटों का किनारा। गंगा में जब पानी अधिक बढ़ जाता है तब मणिकर्णिका घाट से तुलसी घाट तक लगभग डेढ़ किलोमीटर तक गंगा नदी उल्टी बहने लगती है। इन घाटों के बीच में हरिश्चन्द्र घाट सहित लगभग 45 घाट आते हैं। उल्टी बहने की स्थिति लगभग आधा से एक घंटे तक रहती है और वाकायदा पानी उतरता है अर्थात् जिस निशान पर पहले पानी बह रहा होता है उल्टी बहने पर दो से तीन फीट नीचे बहने लगता है। ये स्थिति भदैनी घाट के निकट जैन घाट की है। हरिश्चन्द्र घाट पर एक मीटर के लगभग पानी उतर जाता है। यह मंजर लोग घंटों तक घाट किनारे खड़े होकर निहारते रहते हैं। 


     वाराणसी में गंगा नदी का बहाव दक्षिण से उत्तर की ओर है। लेकिन यहां नगर के किनारे किनारे गंगा धनुषाकार में बहती हुई, दक्षिण दिशा से आकर पूर्व फिर पूर्वोतर की ओर घूम जाती है। आगे जाकर पुनः उत्तर दिशा की ओर रास्ता बनाती है। यहां घुमाव होने के कारण ही यह आश्चर्यकारी प्रक्रिया होती है। अधिक पानी आने के कारण गंगा का जल वेग से आता है। दशाश्वमेध घाट के पास अधिक घुमाव है, यहां पानी टकराता है, इस कारण भंवर सी बनती है। टकराने के कारण कुछ धारा उल्टी लौटती है, उल्टी धारा का बहाव भी इतना तेज होता है कि वह लगभग डेढ़ किलोमीटर तक उल्टा ही बहता रहता है, इस कारण पानी उतरता है। कुछ देर वाद पुनः सीधा बहने लगता है। यह प्रक्रिया थोड़ी थोड़ी देर से निरन्तर होती रहती है। गंगा में बाढ़ होने पर ही यह प्रक्रिया होती है। सामान्य समय में गंगाजी वाराणसी में शांत बहती हैं।


रिपोर्ट -डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर, 9826091247


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